बिग डाटा युग : डेटा नया इंधन है तथा इतिहास इसका सबसे पुराना बैंक

"सूचना २१वीं सदी की इंधन है तथा डाटा एनालिसिस दहन इंजन "
                                                                          - पीटर सोंदेर्गार्ड

 वर्तमान युग को यदि तकनीकी युग कहा जाये तो इसे अतिश्योक्ति नहीं कहेंगे | प्रस्तुत युग मानवीय कलापों से आगे बढ़कर मशीनी कार्यक्रमों द्वारा चालित हो रहा है | प्रत्येक दिवस के साथ ही नयी तकनीकी युग को नयी दिशा देती है तथा मानवीय प्रगति के नए आयाम खोलती है | इसी क्रम में बिग डाटा प्रणाली को भी रखा जा सकता है जिसने अदृश्य रूप में ही मानव समाज को नयी गति दे दी है | 

बिग डाटा प्रणाली के प्रभावों को  समझने के लिए इसकी मूलभूत समझ होना जरुरी है |  बिग डाटा प्रणाली को हम सरल शब्दों में ऐसी डाटाविश्लेषण प्रणाली के रूप में समझ सकते हैं जहाँ डेटा सेट्स को छोटा  या परिमार्जित नहीं किये बगैर सम्पूर्ण डाटा के प्रयोग से निष्कर्ष निकला जाता है | पुराणी सांख्यिकी प्रणालियों में जहाँ छोटे छोटे डेटा सेट्स से परिणाम अनुमानित किये जाते थे वहीँ इस प्रणाली में वृहतर डेटा का प्रोयग कर सटीक अनुमान निकाले जा सकते हैं | 

बिग डेटा प्रणाली के ४ मुख्य आधार माने गए हैं  ये हैं :  आयतन (वॉल्यूम) , गति (वेलोसिटी), प्रकार (वैरायटी) तथा सत्यता (वेरासिटी)| इन मूल्यों के आधार पर बिग डेटा प्रणाली को ऐसी प्रणाली मान सकते है जहाँ किसी परिणाम को स्थापित करने के लिए वृहद् डेटा का प्रयोग हो ,जो तेजी से उत्पन्न होता हो  तथा विभिन्न प्रारूपों (टेक्स्ट , पिक्चर, ग्राफ्स, ध्वनि, मूवी) में प्राप्त होता हो | चौथा मूल्य यथा सत्यता इस हेतु आवश्यक की डेटा सही सन्दर्भ के साथ होना चाहिए अन्यथा डेटा के सूचना में तथा सूचना का ज्ञान में परिवर्तित होना संभव नहीं होता |



विक्टर मायेर शौन्बर्गेर अपनी पुस्तक 'बिग डेटा ' में लिखते हैं की बिग डेटा का प्रथम प्रयोग १९वीन सदी में एक नाविक ने किया था जिसने पुराने नक्शों तथा मार्गों का वृहद् अध्यन कर नए मार्ग व उनमे आने वाली परेशानियों को संकलित किया था | इस प्रकार के अन्य उदहारणभी मिलते हैं परन्तु वर्तमान समय में बिग डेटा की चर्चा उच्च स्तरीय कंप्यूटर प्रणाली के बिना पूरी नहीं मानी जा सकती | बिग डेटा हेतु पैरेलल कंप्यूटिंग, वृहद् स्टोरेज तथा मशीन लर्निंग की भी आवश्यकता होती है |


उच्च स्तरीय कंप्यूटर प्रणाली के जरिये ही आज अमेज़न जैसे ऑनलाइन विक्रेता खरीद के डेटा से युवती के गर्भवती होने का अनुमान लगा सकते हैं तथा गूगल जैसे प्लेटफार्म सर्च क्वेरीज के अनुसार बता सकते हैं की किस क्षेत्र में किस महामारी का प्रकोप है तथा वह किस दिशा में बढ़ रही है | हाल ही में कम्ब्रिज अनालिटका के प्रकरण में यह भी सामने आया की किस प्रकार डेटा एनालिसिस  का चुनावों में भी प्रयोग किया जा रहा है  |

इस प्रकार देखा जाये तो बिग डेटा से एक नयी क्रांति का सूत्रपात हो रहा है जहाँ डेटा बहुमूल्य हो गया है | पहले के समय में जो डेटा उनुप्योगी मानकर छोड़ दिया जाता था आज वह भी किसी न किसी रूप में सार्थक परिणाम देने में सक्षम है | गूगल ने अपने गुटेनबर्ग प्रोजेक्ट द्वारा पुरानी किताबों का अंकीकरण शुरू किया है , वह शब्द सत्यापन हेतु री कैप्चा का प्रयोग करता है जिसे प्रयोगकर्ता किसी साईट में लॉग इन हेतु प्रयोग करता है | लॉग इन कराने के साथ ही यह रे कैप्चा किताबों के अंकीकरण में त्रुटियों को सही करता है | किताबों से निकले ज्ञान का विश्लेषण गूगल के सर्वेरों  पर होता है जिससे न केवल उसके सर्च परिणाम बेहतर होते हैं बल्कि उसे विभिन्न भौगोलिक, सामाजिक , लैंगिक, एवं राजनीतिक जानकारियां भी प्राप्त होती हैं | इसी कारण बेहतर खरीददारी के विकल्प भी उपलब्ध करा पाता है|  

पुरानी  किताबें या पुराना डेटा नए डेटा के साथ मिलकर इस प्रकार एक नयी प्रणाली को जन्म दे रहा है | इसीलिए कहा गया है की इतिहास नया बैंक बन रहा है  | बिग डेटा प्रणाली अपने साथ नए आयाम लेकर आई है | भारत जैसे बढती आबादी परन्तु कम संसाधन वाले देश में यह प्रणाली वृहद् लाभकारी सिद्ध हो सकती है |

स्वास्थय के क्षेत्र में बात करें तो  हाल ही में भारत सरकार ने पोषण मिशन का प्रारंभ किया है तथा इसके तहत लाभार्थियों तक सूचना व सुविधा लक्ष्यित रूप में पहुचाई जाएगी | लोगों का एक केंद्रीय डेटाबेस होगा तथा इस डेटा के साथ साथ जल, भोजन उपलब्धता, स्वच्छता, जागरूकता, आय आदि के आंकडें मिलाये जायेंगे तथा बिग डाटा विश्लेषण के द्वारा लक्ष्यित सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी | उदाहरणार्थ यदि किसी जगह में पानी में अत्यधिक दूषित तत्त्व पाए जाते हैं तो वहां पानी शोधन के नए तरीके उपलब्ध कराये जायेंगे | जहाँ माताओं को कैल्शियम या आयरन के कमी पाई जाती है वहां इसका विशेष इंतजाम किया जायेगा | इस प्रकार कुपोषण से लड़ाई भी सम्भव हो सकेगी तथा मात्र-मृत्यु दर में कमी आएगी | 

इसके साथ साथ जलवायु के आंकडें मिलन करने पर संभावित मह्मारियों का भी आकलन व प्रभाव स्थापित किया जा सकता है | बिग डेटा विश्लेषण से क्षेत्र विशेष की जलवायवीय व भौतिक परिस्थ्तित्यों का मिलान कर जोखिम विश्लेषण भी किया जा सकता है | किसी भी आपदा की रोकथाम हेतु यह आवश्यक है , यदि पहले से ही खतरे का अनुमान हो तो जान माल की हानि कम की जा सकती है | इस बिग डेटा के द्वरा ही बाढ़, दुर्भिक्ष, कीट हमला आदि की सम्भावना अनुमानित की जा सकती है | यदि मशीन लर्निंग का प्रयोग कर स्वचालित सूचना प्रणाली बना दी जाये तो मौसम में आ रहे परिवर्तन को भांप कर ही आपदा पूर्व सूचना उपलब्ध करायी जा सकती है | 

आपदा रोकथाम के साथ ही बीमा कवरेज का आकलन भी इस डेटा विश्लेषण द्वारा संभव है | यदि सरकार के पास किसान बीमा योजना में क्षेत्र वार डेटा उपलब्ध हो तो न केवल प्रीमियम निश्चित करने में आसानी होगी अपितु बीमा भुगतान भी शीघ्रता से संभव हो सकेगा| साइल हेल्थ कार्ड योजना तथा किसानों की आर्थिक स्तिथि के डेटा मिलान से यह निश्चित कर सकते हैं की किसान किस प्रकार की फसल ले | 

इसके साथ साथ बाजार में बढ़ रही मांग तथा सामाजिक पसंद में परिवर्तन को यदि  विश्लेषित किया जाये तो किसान किस प्रकार की फसल से ज्यादा लाभ कमाएंगे यह निश्चित किया जा सकता है | मांग तथा आपूर्ति से चालित बाजार में मांग के पूर्व निर्धारण से अर्थव्यवस्था में माल बर्बादी कम होगी तथा निवेश सही जगह लगेगा |  बिग डाटा विश्लेषण प्रणाली के द्वारा कर चोरी रोकना भी संभव होगा क्यूंकि यह प्रणाली विभिन्न लेन-देन को आधार प्रणाली व पैन से जोड़कर अधिक पारदर्शी बनाएगी | बैंकों के मध्य होने वाले संव्यवहार को भी निगरानी में रखना संबव होगा जिससे बड़े बैंक घोटाले होने से बचेंगे |  यदि बिग डाटा प्रणाली के साथ ब्लाक-चेन तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो आर्थिक संव्यवहारों का बेहतर लोखा जोखा रखा जा सकता है तथा बड़े बैंकिंग घोटालों को भी रोका जा सकता है |

इस प्रकार हम कह सकते हैं की बिग डाटा प्रणाली अपने साथ कई आशाओं को लेकर प्रकट हुई है परन्तु हमे यह नहीं भूलना चाहिए की हर उन्नत तकनीक की अपनी दुर्बलताएं भी होती हैं | बिग डाटा प्रणाली में डाटा का रखरखाव व सुरक्षा महत्त्वपूर्ण मुद्दा है | जिस प्रकार सोशल मीडिया साईट व इ कॉमर्स कपनियां डेटा एकत्रित कर रही हैं उससे निश्चित रूप से निजता का उल्लंघन संभव है | इससे लोगों के जीवन से सम्बंधित छोटी से छोटी जानकारी भी विदेशी सेर्वेरों में भर रही है  , यह आने वाले कल में सुरक्षा का बड़ा मुद्दा बन सकता है | उदहारण के लिए कोई दावा कंपनी पहले से ही किसी महामारी की सम्भावना भांप कर दवा के दाम  बढ़ा सकती है ऐसे में बड़े रूप में जनहानि हो सकती है | 

अपने लाभ व हानि के साथ साथ यह प्रणाली एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने में संभव है बशर्ते हम इसकी हानियों का सही निवारण कर सके | इस आलोक में २०१७ में उच्चतम न्यायलय द्वारा दिया गया निर्णय समक्ष रखना चाहिए जिसमे यह मन गया की निजता एक मूल अधिकार है और इसकी रक्षा होनी चाहिए | यदि हम बिग डाटा प्रणाली का प्रयोग निजता की रक्षा करते हुए कर सकते हैं तो निश्चित ही हम आने वाले कल में इससे अनके लाभ प्राप्त कर सकते हैं |

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