क्या युवाओं को राजनीति को एक वृत्ति (करियर) के रूप में देखना चाहिए


" लगभग  हर  एक  चीज  जो  महान  है  युवाओं  द्वारा  की  गयी  है| ."
                                                                           -बेंजामिन  डिस्रेलि

                   पूर्व ब्रितानी प्रधानमंत्री के उपर्युक्त विचार दर्शाते हैं की युवावस्था वह समय है जब व्यक्ति के पास महान परिवर्तनों को लाने की शक्ति होती है | युवा उस वायु के सामान है जो अपने वेग से समाज , राजनीति  और दुनिया को बदलने की क्षमता रखती है | युवाओं में वह ओज होता है जो उन्हें नए विचारों के प्रति सजग रखता है और उनके पास अतीत से सीखने की काबिलियत भी होती है |  जब युवा राजनीति में आते हैं तो नव परिवर्तन की धारा बहती है और नयी सोच का निर्माण होता है | 

                   इतिहास गवाह है जब जब कोई युवा पूरे मनोवेग से किसी संकल्प प्राप्ति हेतु निकला तो उसका रास्ता कोई नहीं रोक पाया | लघभग २३०० वर्ष पहले दुनिया ने युवा सिकंदर की अद्भुत विजय को देखा  जो मकदूनिया से चलकर हिन्दुकुश पर्वत को  लांघ गया था | उसी के समकालीन कौटिल्य शिष्य चन्द्रगुप्त मौर्य ने शक्तिशाली मगध शासक 'घनानंद' को हरा दिया था | अकबर और शिवाजी ने अपनी युवावस्था में ही अपनी प्रशाशनिक दक्षता का प्रमाण प्रस्तुत किया था | न केवल पुरुष बल्कि 'जोन ऑफ़ आर्क' और 'रानी लक्ष्मी बाई'  जैसी  युवा  वीरांगनाओं ने भी अपने देश हेतु अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी और बिना हिचक अपने प्राणों की भी आहुति सहर्ष दे दी थी |

                'चम्पारण सत्याग्रह' जिसकी हम इस वर्ष १०० वीं वर्षगांठ मना  रहे हैं, इस बात का उदाहरण है की युवा किस प्रकार देश की राजनीति को बदल सकते हैं | इस सत्याग्रह में गाँधी जी के आह्वाहन पर 'बाबू राजेंद्र प्रसाद' जैसे युवा सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में उभरे और जिनके द्वारा बनायीं गयी रिपोर्टों के आधार पर 'तीन-कठिया' पद्धति का क्रूर दमन समाप्त हुआ | गाँधी जी ने युवाओं को प्रमुखता के साथ स्वंतंत्र आन्दोलन से जोड़ा जिसके परिणाम स्वरुप 'सरदार वल्लभ भाई पटेल', 'जवाहर लाल नेहरु', 'सरोजिनी नायडू',  आदि जैसे महान नेता भारत को प्राप्त हुए | वहीँ युवा भगत सिंह की  दूरदर्शी क्रांतिकारिता और समाजवादी उद्देश्य आज भी देश के युवाओं हेतु प्रेरणा स्रोत है |

               उपर्युक्त वर्णन बताता है की भारत के अतीत में इसके युवाओं ने देश की राजनीति में व्यापक भूमिका निभाई है | समय समय पर युवा सोच और युवा जोश ने भारत को नयी उपलब्धियां दी हैं | पर वर्तमान समय चिंताजनक स्तिथि को दर्शाता है जहाँ युवाओं का राजनीति में भाग गिरता जा रहा है | आज हमारी संसद में ३५ वर्ष से कम उम्र के मात्र १०% नेता ही है और उनमे से ८० से ९० प्रतिशत केवल पारिवारिक संबंधों द्वारा ही राजनीति में आये हैं | 

                आज अधिकतर कुशल युवाओं का सपना राजनीति में आना नहीं बल्कि एक अच्छी नौकरी पाना या ज्यादा से ज्यादा एक उद्यमी बन्ने का हो गया है| वहीँ कॉलेज राजनीतियों से उभरने वाले युवा नेता त्याग व संकल्प की भावना से नहीं बल्कि सत्ता व शक्ति के लोभ से राजनीतिमें प्रवेश कर रहे हैं  | वर्तमान दशा का व्यंगातमक  चित्रण कवी अदम गौंडवी ने कुछ इस अंदाज में किया है :  |

"काजू भुने प्लेट में ,व्हिस्की गिलास में 
उतरा है रामराज्य विधायक निवास में ,
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हो या डकैत ,
इतना असर है खादी के उजले लिबास में |"

                    आज भारत युवाओं की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बनकर उभर रहा है और दुनिया का भी यह मानना है की भारत अपनी युवा जनता के बल पर विकास के नए शिखर चढ़ेगा| इस स्वप्न को सच करने हेतु आवश्यक है की युवा अन्य छेत्रों के साथ साथ राजनीतिमें भी बड़ी भूमिका निभाना शुरू करें | यदि युवा पुनः राजनीति को एक करियर विकल्प की तरह देखने लगे और अपने अन्दर सामाजिक निर्माण की भावना का विकास करें तो निश्चित रूप में भारत तेजी से विकास की और बढेगा |

                   युवाओं के राजनीति में पदार्पण से नयी सोच का अभ्युदय होगा | युवा की तार्किक और अपरम्परागत सोच उन पुरानी समस्याओं का हल निकाल सकती है जो पारंपरिक राजनीति में हल होती नहीं दिखती | पड़ोसी देशों से सीमा विवाद हो या आंतरिक रूप से नए आर्थिक ढाँचे का निर्माण , युवाओं की सोच राजनीति को एक नयी दिशा अवश्य प्रदान करेगी | ऐसा इसलिए कहा जा सकता है की युवा अतीत से ज्यादा जकड़ा नहीं होता और वर्तमान को अपने अनुसार ढालने की कोशिश करता है | युवा बदलते समय की संतान होते हैं इसीलिए वह नए समाज को नए चश्मे से देखने में सक्षम होते हैं |

                           युवा उन पहलुओं को आसानी से विमर्श में ला सकते हैं जिन्हें बुजुर्ग नेतागण अनछुए और कम महत्व के समझते हैं |  युवा खुल कर लैंगिक समस्याओं पर विचार कर सकते हैं और राजनीति में  महिला भागीदारी को बढ़ने के नए विकल्प सोच सकते हैं  | सेक्स संबंधों को बदलते समाज की तरह देखना व समझना  युवाओं के लिए सहज है , इसीलिए वह लीव-इन जैसे अनछुए मुद्दों पर भी स्पष्ट क़ानून बना सकते हैं | युवा राजनेता सामाजिक एकीकरण के लिए प्रेम विवाह को अधिक स्वीकृति दिला सकते हैं क्यूंकि समाज नेताओं द्वारा सबसे ज्यादा प्रभावित होता हैं और उन्हें अपना आदर्श समझता है |  सैम लैंगिक समबन्धों पर भी युवा ही समाज को नयी दिशा दिखने में सक्षम हैं | वैश्विक तापन से बचने हेतु और हरित पर्यावरण तकनीकों को बढ़ाने में युवा नेता  व्यापक भूमिका निभा सकते हैं क्यूंकि वर्तमान समय में युवा संगठन ही पर्यावरण सरोकारों को गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से उठा रहे हैं |  

                      वर्तमान युग के 'कूल ड्यूड' कहे जाने वाले युवा सामाजिक विषयों पर जानकारी के साथ साथ आर्थिक  विषयों की भी अच्छी खोज खबर  रखते हैं | यह आज के उद्यमी युवा ही हैं जिन्होंने स्टार्टअप कंपनियों के द्वारा देश में नए रोजगारों के सृजन को बढ़ावा दिया है | एक युवा प्रधान मंत्री द्वारा ही भारत में सूचना प्रद्योगिकी छेत्र के विकास को बढ़ावा मिला जिसके कारण आज हमारे देश में टी सी एस  , विप्रो और इनफ़ोसिस जैसी बहुदेशीय कम्पनियाँ स्थापित हुईं | इनफ़ोसिस के सह-संस्थापक 'नंदन निलेकनी' ही वह व्यक्ति हैं जिन्होंने आधार कार्ड की संकल्पना की | आधार कार्ड का लाभ-अंतरण, सब्सिडी , स्वास्थय आदि छेत्रों में प्रयोग दिखाता है की कैसे हमारे युवा तकनीकी सहायता से देश की अर्थव्यवस्था को नया स्वरुप दे  सकते हैं |

                    आज का टेक सेवी युवा पुराने नेतागण की तरह तकनीकी उन्नयन में एक मूक दर्शा नहीं रहता बल्कि वह तकनीकी प्रयोग में शामिल होना जानता है | आज के यह बुद्धिजीवी राजनीति में आर्थिक सहायता देने हेतु  'बिग डाटा विश्लेषण ', परिसंपति निर्धारण हेतु  'स्पेस मैपिंग ',   स्वस्थ्य परामर्श में  'आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस ' तथा परिवहन में 'स्वचालित वाहन ' आदि जैसे उपाय लाने में सक्षम हैं | इन युवाओं का राजनीति में स्वागत समय की महती मांग हैं |

                 युवाओं की सहभागिता राजनीति में बढ़ने हेतु कुछ उपायों की जरुरत है | सर्वप्रथम तो राजनीतिक दलों को युवाओं के प्रवेश का स्वागत करना होगा तथा महत्वपूर्ण विषयों में उनकी राय शुमारी करनी होगी | युवा विंग बनाने के साथ साथ उनके महत्वपूर्ण विषयों पर विमर्श को बढ़ाना होगा ताकि युवा देश की परिस्थतियों पर सही दृष्टिकोण का निर्माण कर सकें | सन २०११ के अन्ना आन्दोलन में युवाओं की बढ़ चढ़ कर भागीदारी इस बात का प्रमाण है की युवा भ्रष्टाचार हटाने हेतु उद्द्यत हैं , इसलिए दलों को  भ्रष्टाचार  मुक्ति कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा जिससे युवा इसमें सहजता से शामिल हों | 

'युवाओं  का  कर्तव्य  है  भ्रष्टाचार  को  ललकारना '
-कर्ट कोबैन

               कॉलेज राजनीति में भी बदलाव लाना जरुरी है जिससे इसमें जुझारू व पढाई में अव्वल युवाओं का समावेश भी संभव हो | कॉलेज राजनीति में अपराधीकरण को रोकना होगा तथा अनुचित व्यय पर नियंत्रण करना होगा | कॉलेज की राजनीति में राजनैतिक दलों का हस्तछेप सीमित करना होगा तथा विद्यार्थियों का राजनैतिक लाभों हेतु लामबंदीकरण रोकना होगा | 

              युवाओं के राजनैतिक विकास के लिए स्वायत्त व स्वतंत्र कॉलेज राजनीति के साथ साथ बचपन से ही आदर्श नेता के गुण स्थापित करने होंगे , इसमें स्कूलों द्वारा विचार विमर्श तथा तर्क वितर्क  की क्षमता का विकास शामिल होना चाहिए | बच्चों को शिक्षा द्वारा अपनी आस पास की समस्याओं का विश्लेषण करने की योग्यता देनी होगी  |  युवाओं में राजनीतिक कौशल विकास हेतु पंचायतों व नगर पालिकाओं को बड़ी भूमिका निभानी होगी| इस स्तर पर प्रशिक्षण द्वारा युवाओं को भविष्य की राजनीति हेतु तैयार किया जा सकता है |

               इस प्रकार हम देखते हैं की भारत के विकास में सदैव ही युवाओं ने बड़ी भूमिका निभाई है | वर्तमान समय की पुनः  यह मांग है की युवा राजनीति में आये और इसे एक नयी दिशा दें | युवा अपनी नयी सोच, नए जोश व उत्कृष्ट आर्थिक कार्यक्रमों द्वारा देश को नयी उचाईयों पर ले जाने में सक्षम हैं | देश का तकनीकी विकास और प्रशासन में तकनीकी प्रयोग भी युवाओं द्वारा बढाया जा सकता है | जरुरत है की युवा पुनः राजनीति को वृत्ति की तरह अपनाये और इसके लिए राजनैतिक दलों द्वारा युवाओं का समावेश आवश्यक है | स्कूल में विचार विमर्श को बढ़ावा तथा कालेज की राजनीति में दलों के हस्तछेप को कम करना वांछनीय है | इस प्रकार जब युवा पुनः राजनीति में लौटेंगे तो निश्चित ही देश विकास के मार्ग पर चल निकलेगा | युवाओं से यही आशा है की वे दुष्यंत कुमार के निम्नलिखित वाक्य अपने ह्रदय में उतार कर राजनीति में प्रवेश करेंगे और नव देश का निर्माण करेंगे  | 

"सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं , 
मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही 
हो कहीं भी आग , लेकिन आग जलनी चाहिये"|
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Comments

  1. निबंध पसंद आया ! समाजवादी वाला शेर परीक्षा में नही लिखना!👍

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