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क्या युवाओं को राजनीति को एक वृत्ति (करियर) के रूप में देखना चाहिए

" लगभग  हर  एक  चीज  जो  महान  है  युवाओं  द्वारा  की  गयी  है| ."                                                                            - बेंजामिन  डिस्रेलि                    पूर्व ब्रितानी प्रधानमंत्री के उपर्युक्त विचार दर्शाते हैं की युवावस्था वह समय है जब व्यक्ति के पास महान परिवर्तनों को लाने की शक्ति होती है | युवा उस वायु के सामान है जो अपने वेग से समाज , राजनीति  और दुनिया को बदलने की क्षमता रखती है | युवाओं में वह ओज होता है जो उन्हें नए विचारों के प्रति सजग रखता है और उनके पास अतीत से सीखने की काबिलियत भी होती है |  जब युवा राजनीति में आते हैं तो नव परिवर्तन की धारा बहती है और नयी सोच का निर्माण होता है |                     इतिहास गवाह है जब जब कोई युवा पूरे मनोवेग से किसी संकल्प प्राप्ति हेतु निकला तो उसका रास्ता कोई नहीं रोक पाया | लघभग २३०० वर्ष पहले दुनिया ने युवा सिकंदर की अद्भुत विजय को देखा  जो मकदूनिया से चलकर हिन्दुकुश पर्वत को  लांघ गया था | उसी के समकालीन कौटिल्य शिष्य चन्द्रगुप्त मौर्य ने शक्तिशाली मगध शासक 'घनानंद' को हरा द

श्रम बल में महिलाओं का कम और स्थिर भाग : एक विसंगति या आर्थिक सुधारों का परिणाम

                                  "किसी भी राष्ट्र की उन्नति या अवनति उसकी                                   स्त्रियों की उन्नति या अवनति पर निर्भर होती है | "                                                                                              - अरस्तु        अरस्तु का यह कथन दिखाता है की देश की महिलाएं देश के लिए क्या मायने रखती हैं | महिलाएं किसी भी देश की नींव होती है जिनपर परिवार से लेकर समाज तक की वृहत जिम्मेदारी होती है | महिलाएं बेटी , बहन, पत्नी और माँ के रूप में जहाँ पुरुषों को सहयोग देती हैं वहीँ वह समाज में नव पीढ़ी की रचनाकार और उसके मूल्यों  की पोषिका भी होती हैं | आधुनिक भारत में भी महिला सशक्त रूप में उभर कर सामने आ रही है , आज महिलाओं की भागीदारी हर छेत्रों में देखी जा सकती है | महिलाएं घर गृहस्थी के साथ साथ व्यावसायिक छेत्रों में भी पुरुषों क साथ कंधे से कन्धा मिला आगे बढ़ रही है  |                    महिलाओं की यह उन्नति लेकिन कुछ हद में ही हुई है , अभी  महिलाओं का संस्थात्मक रूप में विकास नहीं हुआ है जो की हमारे देश के लिए चिंता का

पर्यावरणीय चुनौतियाँ और भू राजनीति : पर्यावरण की रक्षा किस प्रकार की जाए ?

मानव के जीवन के लिए स्वस्थ शरीर और स्वास्थ्यवर्धक परिवेश की महती आवश्यकता है | हमारा पर्यावरण हमारे जीवन के लिए दशाएं देता है और इसको स्वस्थ रखना भी हमारा कर्त्तव्य है | हमारी संस्कृति में प्रकृति को माता का दर्जा दिया गया है क्यूंकि ये हमारा भरण पोषण करती है और हमारे सुख शांति के लिए नवीन सुन्दर दृश्य प्रदान करती है | प्राचीन काल से ही सभी सभ्यताओं में प्रकृति की प्रति मानवीय कर्त्तव्य का जिक्र किया गया है चाहे वह मेसोपोटामिया हो , हड़प्पा सभ्यता हो या फिर मिस्र की प्रच्चीन सभ्यता सभी में मनुष्य और प्रकृति के मध्य संबंधों का चिंत्रण मिलता है | आधुनिक मनुष्य अपने विज्ञान के कारण प्रकृति से दूर हुआ है और प्रगति के नाम पर उसने पर्यावरण को हानि पहुंचाई है | मनुष्य ने जैसे जैसे तरक्की की वैसे वैसे उसने अपने बल पर प्रकृति को विजित करना शुरू किया यह भूलकर की इस प्रक्रिया में वह अपने लिए ही संकटों को बुला रहा है | मनुष्य ने अपने अंधाधुन्द दोहन के छेत्र भी निर्धारति कर लिए और जब उसकी लालसा पूरी न हुई तो उसने युद्ध आदि के सहारे से दूसरों के छेत्रों पर कब्ज़ा शुरू कर दिया|राजनीति के खेल में ज्