दुनिया में गंभीर अज्ञानता और सहमत मूर्खता से ज्यादा कुछ भी खतरनाक नहीं है।
"बुद्धिमत्ता के दंभ में हम कितने अनभिज्ञ हो जाते हैं |" मैरी शेली ने अपनी कालजयी रचना " फ्रंकेंस्तीन" में उपर्युक्त वाक्य के द्वारा मानवता की एक जटिल पहेली को सामने रखा है | जिस तरह से इस उपन्यास में "फ्रंकेंस्तीन" द्वारा बनाया गया दैत्य उसके ही सगे सम्बन्धियों को मार देता है ठीक वैसे ही आज मानवता अपने लिए ही संकटों को निमंत्रण देती नजर आ रही है | फ्रंकेंस्तीन को शायद इस बात का आभास नही था की दैत्य उसके परिवार को मार देगा पर मनुष्यों को अपने ऊपर आने वाले संकटों का एहसास है फिर भी वह इस ओर अनभिज्ञ बना हुआ है| फ्रंकेंस्तीन उपन्यास पर आधारित एक फिल्म का दृश्य (साभार : दा गार्जियन) प्रकृति ने जब मनुष्य का निर्माण किया तो उसे मास्तिष्क का उपहार दिया ताकि वह अपने जीवन को अधिक परिष्कृत कर सके और इस धरा को और भी सुन्दर बना सके | ...