पर्यावरणीय चुनौतियाँ
मानव के जीवन के लिए स्वस्थ शरीर और स्वास्थ्यवर्धक परिवेश की महती आवश्यकता है | हमारा पर्यावरण हमारे जीवन के लिए दशाएं देता है और इसको स्वस्थ रखना भी हमारा कर्त्तव्य है | हमारी संस्कृति में प्रकृति को माता का दर्जा दिया गया है क्यूंकि ये हमारा भरण पोषण करती है और हमारे सुख शांति के लिए नवीन सुन्दर दृश्य प्रदान करती है | प्राचीन काल से ही सभी सभ्यताओं में प्रकृति की प्रति मानवीय कर्त्तव्य का जिक्र किया गया है चाहे वह मेसोपोटामिया हो , हड़प्पा सभ्यता हो या फिर मिस्र की प्रच्चीन सभ्यता सभी में मनुष्य और प्रकृति के मध्य संबंधों का चिंत्रण मिलता है | आधुनिक मनुष्य अपने विज्ञान के कारण प्रकृति से दूर हुआ है और प्रगति के नाम पर उसने पर्यावरण को हानि पहुंचाई है | मनुष्य ने जैसे जैसे तरक्की की वैसे वैसे उसने अपने बल पर प्रकृति को विजित करना शुरू किया यह भूलकर की इस प्रक्रिया में वह अपने लिए ही संकटों को बुला रहा है | मनुष्य ने अपने अंधाधुन्द दोहन के छेत्र भी निर्धारति कर लिए और जब उसकी लालसा पूरी न हुई तो उसने युद्ध आदि के सहारे से दूसरों के छेत्रों पर कब्ज़ा शुरू कर दिया|राजनीति क