भारत नई विश्व व्यवस्था में एक अनिच्छुक भागीदार ?
सन् १६४८ में सम्पन्न वेस्टफालिया संधि द्वारा राष्ट्र राज्यों की मान्यता विश्व के प्रमुख कर्ताओं के रूप में स्थापित हुई । राष्ट्र राज्यों द्वारा संचालित नयी विश्व व्यवस्था इस बात पर आधारित थी की हर राज्य दूसरे राज्य की गरिमा का ख्याल रखेगा और किसी भी प्रकार उसकी सम्प्रभुता में हस्तछेप नहीं करेगा । यह विश्व व्यवस्था विश्व में स्थापित शक्ति की संरचना , राज्यों के मध्य आपसी सम्बन्ध, राज्यों की पद सोपानिकता तथा उनके आपसी व्यवहार का समुच्चय है । आधुनिक विश्व में भारत इस विश्व व्यवस्था में एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभर रहा है , हालांकि इतिहास से प्राप्त कुछ समाजिक-आर्थिक समस्याएं इनमे बाधा उत्पन्न करती हैं। भारत का वर्तमान विश्व व्यवस्था में योगदान उसके संसाधनों के आलोक में तथा छेत्रीय परिस्तिथियों के सन्दर्भ में समझाना चाहिए ।भारत तेजी से प्रगति करती अर्थव्यवस्था है और साथ ही एक बढ़ता जनांकिकीय लाभांश भारत को त्वरण प्रदान कर रहा है , इससे निश्चित ही भारत जो अभी एक अनिच्छुक सा भागीदार लगता है वो आने वाले विश्व में एक मार्गदर्शक बनकर उभरेगा । ...